- सेना प्रमुख से जमकर हो रहा है खटपट, सिमी पर विशेष चौकसी
बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनुस त्यागपत्र दे सकते है। गुरुवार आधी रात को छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से खबर दी। इस्लाम ने बताया, 'हम आज सुबह से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। सर ने भी यही कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।'
'देश की मौजूदा स्थिति में वे काम नहीं कर पाएंगे': एनसीपी संयोजक ने कहा कि मुख्य सलाहकार यूनुस ने आशंका जताई कि देश की मौजूदा स्थिति में वे काम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, मैं काम नहीं कर पाऊंगा। एनसीपी नेता से कही यह बात: इस साल फरवरी में यूनुस के समर्थन से उभरे एनसीपी नेता ने कहा कि उन्होंने हमसे कहा कि देश की सुरक्षा और भविष्य के लिए और जन विद्रोह की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मजबूत बने रहें। इस्लाम ने मुख्य सलाहकार से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राजनीतिक दल एकजुट होकर उनके साथ सहयोग करेंगे और हर कोई उनके साथ सहयोग करेगा। हालांकि, एनसीपी नेता ने कहा कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके रहने का कोई मतलब नहीं है।अगर राजनीतिक दल चाहता है: उन्होंने कहा, 'अगर राजनीतिक दल चाहता है कि वह अभी इस्तीफा दे दें तो वह क्यों रहेंगे? अगर उन्हें विश्वास और आश्वासन का वह स्थान नहीं मिलता?यूनुस की सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही। पिछले दो दिनों में यूनुस की सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती बांग्लादेश के सैन्य बलों से बढ़ती दूरी है, जिसने पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आंदोलन ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंका और यूनुस को सत्ता में बिठाया। सेना का भी नहीं मिल रहा साथ: विरोध प्रदर्शन के दौरान सेना ने विद्रोह को दबाने के लिए कहे जाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई नहीं करना पसंद किया। हालांकि, सेना ने हसीना के सुरक्षित भारत लौटने के लिए वायुसेना के विमान मुहैया कराया। यूनुस को मुख्य सलाहकार (प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री) बनाने में मदद की। यह स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) की मांग के अनुरूप था। इसी का एक बड़ा हिस्सा अब एनसीपी के रूप में उभरा है।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार और सेना के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने हाल ही में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण फैसले लेते समय सेना को भरोसे में नहीं ले रही। जिससे सेना में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से, 'ब्लडी कॉरिडोर' की धारणा को पूरी तरह अस्वीकार्य करार दिया। इसे राष्ट्रीय एकता और स्थिरता के लिए खतरा बताया। सेना प्रमुख ने कहा कि यह शब्द संभवतः हिंसक अस्थिरता या गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर इशारा करता है, जिसे सेना ने सिरे से खारिज किया। दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम: बांग्लादेश सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने अंतरिम सरकार को दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल जनता द्वारा चुनी गई सरकार को ही बांग्लादेश का भविष्य तय करने का अधिकार है, न कि एक गैर-निर्वाचित प्रशासन को। यह बयान मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए बड़ा झटका है, जो पहले ही चुनाव की समयसीमा को लेकर विवादों में घिरी है। यूनुस ने संकेत दिया था कि चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकते हैं, लेकिन सेना का यह सख्त रुख सरकार पर दबाव बढ़ा रहा है।राष्ट्रीय प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं: एक कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) ने मुक्ति युद्ध की विरासत और राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को कायम रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेना के अधिकारी कोर ने सीएएस के प्रति पूर्ण समर्थन जताया और उनके आदेशों पर तत्काल कार्रवाई की तैयारी दिखाई। सेना ने यह भी साफ किया कि वह भीड़ की हिंसा या अराजकता को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी, जिससे सख्त कानून-व्यवस्था लागू करने की ओर रुख साफ झलकता है।हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर सेना और सरकार के बीच तनाव की खबरें तेजी से फैली हैं। कुछ रिपोर्ट्स में तख्तापलट की आशंका भी जताई गई, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई। शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से बांग्लादेश पहले ही राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। सेना की यह चेतावनी और चुनाव की मांग यूनुस सरकार के लिए एक निर्णायक चुनौती बन सकती है।सूत्रों ने बताया कि जनरल जमान की योजना देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों शेख हसीना की अवामी लीग और खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी को साथ लाना और देश के लिए चुनाव में हिस्सा लेने के लिए तैयार करना है। सेना की सबसे बड़ी चिंता यूनुस सरकार के कार्यकारी आदेशों के जरिए कैदियों की रिहाई है। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश की सेना का बड़ा हिस्सा जनरल जमान के पूरी तरह साथ है।सेना में फूट डाल रहे मोहम्मद यूनुस
जनरल जमान की दूसरी बड़ी चिंता मोहम्मद यूनुस को लेकर है, जो सेना में विभाजन का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सेना प्रमुख की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति की थी, जिससे इन प्रयासों को बल मिला है। मोहम्मद यूनुस ने अपने विश्वासपात्र खलीलुर रहमान को एनएसए बनाया है। खलीलुर रहमान अमेरिकी नागरिक हैं और म्यांमार में सैन्य अभियान को लेकर अमेरिकी प्लान में शामिल होने के लिए को लेकर बांग्लादेश की सेना पर दबाव बना रहे हैं।हाल ही में जमान के विरोधी जनरल के साथ एनएसए की बैठक: हाल ही में क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने खलीलुर रहमान के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। रहमान को जनरल जमान के विरोधी खेमे का माना जाता है। सूत्रों का कहना है कि नये एनएसए और यूनुस की कोशिश सेना प्रमुख को हटाने की होगी, लेकिन ज्यादातर कमांडर जनरल जमान के साथ हैं। इस बीच सेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में नहीं आएंगे। उन्होंने अपने कार्यालय या घर की ओर किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोक दिया है। आर्मी चीफ ने शुरुआत में मोहम्मद यूनुस की मदद करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें जल्द समझ आ गया कि यूनुस विदेशी हाथों की कठपुतली हैं और लंबे समय तक बिना चुनाव के सत्ता में बने रहना चाहते हैं। सेना प्रमुख जल्द चुनाव चाहते हैं। लोकतंत्र की खातिर एक साथ चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सभी दलों के साथ बैकचैनल बना लिए हैं।
सेना प्रमुख जनरल जमान को भारत समर्थक और एक संतुलित सैन्य अधिकारी के रूप में देखा जाता है: जनरल जमान को जून 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्हें भारत के साथ अच्छे रिश्तों के समर्थक और एक संतुलित सैन्य अधिकारी के रूप में देखा जाता है। सेना में उनके खिलाफ खेमे की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान कर रहे हैं। रहमान को इस्लामिक कट्टरपंथियों और पाकिस्तान परस्त लोगों का समर्थन हासिल है।
इसी साल की शुरुआत में पाकिस्तानी सेना की कुख्यात खुफिया शाखा आईएसआई (ISI) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरान किया था। इस दौरान उनकी फैजुर रहमान से मुलाकात हुई थी। इसने सेना के अंदर विभाजन को गहरा कर दिया था। इस मुलाकात को सेना प्रमुख के अपमान के रूप में देखा गया। क्वार्टर मास्टर जनरल फैजुर रहमान ने तख्तापलट की भी योजना बनाई थी, जो अधिकारियों का समर्थन न मिलने के कारण नाकाम हो गई। टकराव की खबरों के बीच कुछ समय पहले सेना प्रमुख जमान ने दिया था तख्तापलट का संकेत: टकराव की खबरों के बीच कुछ समय पहले सेना प्रमुख जमान ने तख्तापलट का भी संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि मैं देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरा देख सकता हूं। मेरी कोई अन्य आकांक्षा नहीं है, लेकिन मैं देश को सुरक्षित हाथों में देखना चाहता हूं। जमान ने कहा था कि मैं आपको पहले ही चेतावनी दे रहा हूं ताकि आप कल यह न कहें कि मैंने आपको नहीं बताया। माना जा रहा है कि बांग्लादेशी आर्मी चीफ वकार उज जमान के बीच तनातनी चल रही है. वकार चाहते हैं कि यूनुस जल्द से जल्द देश में इलेक्शन करवाएं. बता दें कि बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना के जाने से अबतक कोई चुनाव नहीं हुआ है।सेना मीटिंग ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग: रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेशी आर्मी चीफ ने कार्य योजना पर विचार करने के लिए एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है, जिसको लेकर सेना के सूत्रों ने कहा,' सेना प्रमुख चाहते हैं कि यूनुस जल्द से जल्द चुनावों की घोषणा करें. उनकी सबसे बड़ी चिंता विदेशी हस्तक्षेप के कारण अस्थिरता है, जो यूनुस के कारण संभव हो सकता है, जिन्हें विदेशी एजेंसियों की कठपुतली माना जाता है। यूनुस से बढ़ा खतरा:सूत्रों के मुताबिक जमान का प्लान शेख हसीना और खालिदा जिया की पार्टियों को एकसाथ लाकर देश में चुनाव आयोजित करना है. वहीं सेना की सबसे बड़ी चिंता है कि यूनुस कार्यकारी आदेशों के जरिए कैदियों की रिहाई न कर दें. वहीं इस मामले पर बांग्लादेशी सेना जमान के साथ है. वहीं आर्मी चीफ कि दूसरी बड़ी चिंता ये है कि कहीं यूनुस उनकी अनुपस्थिति में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर की नियुक्ति कर सेना में विभाजन न कर दें।।यूनुस का क्या है प्लान?: बता दें कि इससे पहले मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने यूनुस के NSA खलीलुर रहमान के साथ अकेले बंद कमरे में बैठक की थी. माना जा रहा है कि NSA और यूनुस आर्मी चीफ को हटाने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन अधिकतर कमाडंर देश में जल्द चुनाव करवाना चाहते हैं. इस बीच आर्मी चीफ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी सिविल ग्रुप के दबाव में नहीं आएंगे और उन्होंने अपने आवास या ऑफिस की तरफ किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोक दिया है. सूत्रों के मुताबिक आर्मी चीफ ने शुरू में यूनुस की मदद करने की कोशिश की, लेकिन लगातार विदेशी हस्तक्षेप को देखते हुए अब वे देश में जल्द चुनाव कराना चाहते हैं. उन्होंने पहले से ही सभी दलों के साथ लोकतंत्र की खातिर एक साथ चुनाव लड़ने के लिए बैकचैनल बना लिए हैं। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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