- कहा, उन्हें शासन और पुलिस से धमकियां मिल रही
- राज्यपाल द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट से गरमाया हुआ है राजनीति
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा को लेकर मामला अभी भी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। आज मुख्यमंत्री का दौरा शुरू होने वाला है। इसके पहले ही राज्यपाल का केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए रिपोर्ट से भूचाल मचा हुआ है। सत्ताधारी टीएमसी इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। इसी बीच हिंसा में अपना पति खो चुकीं पारुल दास और पिंकी दास ने रविवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। दोनों महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें शासन और पुलिस से धमकियां मिल रही हैं। साथ ही उन्होंने राज्यपाल से कोलकाता हाईकोर्ट तक सुरक्षित यात्रा की व्यवस्था करने की मांग की, ताकि वे वहां जाकर न्याय की याचिका दायर कर सकें। बता दें कि राज्यपाल को लिखे चार पन्नों के पत्र में उन्होंने कहा कि हम हरगोबिंद दास और चंदन दास की विधवाएं, टूटे दिल और कांपते हाथों से यह पत्र लिख रही हैं। हम ये पत्र किसी छिपे हुए स्थान से लिख रही हैं क्योंकि हमें सिर्फ सत्ताधारी पार्टी से ही नहीं, बल्कि पुलिस से भी डर लग रहा है। महिलाओं ने लगाए आरोप:
राज्यपाल को लिखे पत्र में महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि रविवार सुबह बिधाननगर पूर्व थाने की पुलिस टीम उन्हें सल्टलेक के बीजी ब्लॉक से किडनैप करने की कोशिश कर रही थी। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे महिलाओं की गुमशुदगी की शिकायत मिलने के बाद वहां गई थी। पुलिस के मुताबिक हरगोबिंद दास के छोटे बेटे समरथ ने शनिवार रात को शिकायत की थी कि दोनों महिलाएं एक व्यक्ति के साथ कार में घर से गईं और 24 घंटे से वापस नहीं आईं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने दर्ज किया केस: इसके साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी कि गंभीर आरोपों को देखते हुए केस दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। जब यह पता चला कि महिलाएं बिधाननगर के एक घर में हैं, तो पुलिस ने जाकर उनसे उनकी सुरक्षा की जानकारी ली और फिर लौट गई। पुलिस ने आगे कहा कि किसी शिकायत की जांच करना पुलिस का कर्तव्य है और हमने वही किया। गौरतलब है कि हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन की पिछले महीने मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान हत्या कर दी गई थी। राज्यपाल बोस ने रविवार को गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में कई उपाय सुझाए हैं, जिनमें एक जांच आयोग का गठन और बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां स्थापित करना शामिल है. इसके अलावा उन्होंने लिखा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधान भी विकल्प बने रहेंगे.
'बंगाल में राष्ट्रपति शासन का भी विकल्प'
रिपोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधानों के उल्लेख के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के कार्यान्वयन का प्रस्ताव नहीं दिया है. उनका मतलब यह था कि यदि राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों पर केंद्र विचार कर सकता है. संविधान के अनुच्छेद 356 के लागू होने का मतलब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना है।
राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा का प्रभाव राज्य के अन्य जिलों पर पड़ने की आशंका व्यक्त की और सिफारिश की कि केंद्र सरकार को लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के अलावा मौजूदा स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए संवैधानिक विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
'कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या बनी चुनौती'
बोस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या पश्चिम बंगाल के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, विशेषकर बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले दो जिले मुर्शिदाबाद और मालदा में. इन दोनों जिलों में प्रतिकूल जनसांख्यिकीय संरचना है और हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
राज्यपाल ने हिंसा के बाद के हालात में उठाए जाने वाले कई उपाय सुझाए. इस हिंसा में एक व्यक्ति और उसके बेटे सहित कम से कम तीन लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए, इसका भी जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है. वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बाद मुर्शिदाबाद में दंगे हुए थे। ( बंगाल से अशोक झा )
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