- बांग्लादेश सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस नॉर्थ-ईस्ट को लेकर होशियारी रह जाएगी धरी की धरी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस नॉर्थ-ईस्ट को लेकर होशियारी दिखा रहे थे। उन्होंने इस मामले पर चीन में बयान दिया था। उस समय उन्होंने इसे लैंड लॉक करार दिया था। भारत सरकार ने उनको करारा जवाब दिया था।अब एक बार फिर भारत सरकार ने युनुस को सबक सिखाते हुए नॉर्थ-ईस्ट की कनेक्टिविटी मजबूत करने के बारे में कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पिछली कैबिनेट बैठक में असम-मेघालय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए 22,864 करोड़ रुपये के शिलांग-सिलचर ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर और फोर लेन हाईवे को मंजूरी दी थी। इस परियोजना के पूरा होने से असम-मेघालय की कनेक्टिविटी आसान होगी। इसके साथ ही दूसरे समुद्री रास्ते पर भी विचार चल रहा है। जिससे लोगों की तकदीर भी बदलेगी।राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों और कोलकाता के बीच समुद्र के रास्ते एक वैकल्पिक संपर्क स्थापित होगा।हाई स्पीड कॉरिडोर बनने के बाद सड़क के जरिए माल को ले जाना और लाना आसान हो जाएगा, जो क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देगा
कैसा होगा सिलचर से शिलांग हाईवे?: सिलचर से शिलॉन्ग ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर और फोर लेन हाईवे की दूरी 166.80 किलोमीटर लंबा होगी. इसकी कुल लागत 22 हजार 864 करोड़ रुपये होगी। जो कि साल 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसका 144.80 किलोमीटर का हिस्सा मेघालय और 22 किलोमीटर का हिस्सा असम में होगा. इस प्रोजेक्ट की मदद से देश की लॉजिस्टिक एफिशिएंसी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।क्या होगा इस कॉरिडोर से फायदा?: इस कॉरिडोर के बनने से असम और मेघालय के बीच बेहतर कनेक्ट विटी होगी। जो कि मेघालय के बिजनेस के विकास सहित आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। क्योंकि प्रोजेक्ट मेघालय के सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से होकर ही गुजरेगा। ये कॉरिडोर गुवाहाटी एयरपोर्ट, शिलांग एयरपोर्ट और सिलचर एयरपोर्ट (मौजूदा NH 06) से आने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की जरूरतों को भी पूरा करेगा। इससे क्षेत्रीय औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने का अनुमान है। सबसे खास और चुनौतीपूर्ण परियोजना: राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारी ने बताया कि इसको बहुत खास तरीके से बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ढलान जैसे क्षेत्रों मे विशेष तौर पर निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही इन क्षेत्रों की निगरानी के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को तैनात किया जाएगा। भूस्खलन की भविष्यवाणी करने के लिए हमारे पास ढलान स्थिरीकरण होगा, ताकि यातायात की आवाजाही को रोका जा सके। ये परियोजना नॉर्थ-ईस्ट का एंटर गेट भी माना जा रहा है। इससे बनने से माल बांग्लादेश पर निर्भर हुए बिना विजाग और कोलकाता से पूर्वोत्तर तक पहुंच जाएगा।एनएचआईडीसीएल के अधिकारी के अनुसार, नया राजमार्ग सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता को कम करेगा। यह परियोजना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक भी होगी, क्योंकि भूभाग बहुत कठिन है और सड़क की मौजूदा स्थिति अच्छी नहीं है। चीन में नॉर्थ ईस्ट को लेकर क्या बोले थे युनुस?:बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने अप्रैल में चीन में शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद भारत और पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर बयान दिया था, जिससे विवाद बढ़ गया था। उन्होंने पूर्वोत्तर के सात भारतीय राज्यों को लैंड लॉक्ड (जमीन से घिरा हुआ) बताया और इस आधार पर बांग्लादेश को इस क्षेत्र का हिंद महासागर का एकमात्र संरक्षक घोषित कर दिया था। युनुस के इस बयान पर उस समय भी भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसके साथ ही अब भारत ने इसको लेकर जमीन पर काम करना भी शुरू कर दिया है। ( नार्थ ईस्ट से अशोक झा )
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