- सीएम ममता बनर्जी हिंसा के लिए भाजपा और आरएसएस को मान रही जिम्मेदार
- शिविर में रह रहे पीड़ित परिवार के बयान याद दिलाते है देश बंटवारे की रात हिंसा की कहानी
- पुलिस अपने कर्तव्य , जिम्मेदारी, संवेदना और अंतरात्मा को किसी फाइल की तरह अलमारी में कर दिया है बंद
- क्यों हिंदुओं की सुरक्षा के लिए मांग की जा रही अर्धसैनिक बलों की तैनाती और राष्ट्रपति शासन
मुर्शिदाबाद से लौटकर अशोक झा: वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मालदा और मुर्शिदाबाद को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने के बाद भी 12 दिन बाद सच सामने नहीं आ रहा है। हमें असली नकली फिल्म का वह गीत याद आ रहा है। "लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा, दिल की बात बता देता है, असली नकली चेहरा" आखिर क्यों इसके सच को छुपाया जा रहा है। आरोप प्रत्यारोप के वेदी पर मासूमों की जान जा रही है। मुर्शिदाबाद का सच धीरे-धीरे सामने आ रहा ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शासित पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई। हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई दो याचिकाओं पर 21 अप्रैल को सुनवाई होगी। सीएम ममता ने बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे दंगे भड़काना चाहते हैं, जो सभी को प्रभावित कर सकते हैं। हम दंगों की निंदा करते हैं और उसके खिलाफ हैं। वे हमें चुनावी राजनीति के लिए बांटना चाहते हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने और मानव जीवन और सम्मान को बचाने के लिए, हमने कड़ी कार्रवाई की है। दो पुलिस अधिकारियों को हटा दिया गया है। पुलिस जांच कर रही है।आगे की कार्रवाई की जा रही है। बकरीद पर हिंदुओं को काटने की धमकी से सहमे है पलायन करने वाले परिवार : मुर्शिदाबाद में समुदाय विशेष ने खून की होली खेलने के साथ बकरीद पर हिंदुओं को काटने की धमकी दे डाली है। हिंदू महिलाओं को कैसी-कैसी धमकी?: आज मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे बता रही थीं कि कट्टरपंथी आए थे और कह रहे थे कि वो खून की होली खेलेंगे। एक महिला ने बताया कि दंगाई कह रहे थे- 'बकरीद पर हिंदुओं को काटेंगे'. हिंदू महिलाओं से रेप और बेटियों को अगवा करने की धमकी दी गई। हिंदू परिवारों का दर्द कौन बांटेगा?: अफसोस की बात ये है कि मुर्शिदाबाद का सच धीरे-धीरे सामने आ रहा है। हिंदुओं पर हमले के 9 दिन बाद खून की होली वाली धमकी का पता चल रहा है. हाईटेक युग में भी ये बात हम तक पहुंचने में 9 दिन लग गए। सोचिए कैसी स्थिति है बंगाल की और खासकर मुर्शिदाबाद में रहने वाले पीड़ित हिंदू परिवारों की. जो अपना दर्द भी डर-डर कर बता रहे हैं। आपको पूजा पांडे की वो बात एक बार फिर ध्यान से पढ़नी चाहिए, क्योंकि एक समुदाय विशेष के लोग हिंदुओं के खून की होली खेलने की धमकी दे रहे थे। वो झुंड में आए थे और हाथों में तलवार लेकर आए थे और हिंदू महिलाओं का बलात्कार करने की बात कह रहे थे।क्या वक्फ कानून का विरोध खून की होली खेलने के लिए किया गया या किया जा रहा है?क्या वक्फ कानून की खिलाफत बकरीद पर हिंदुओं को काटने के इरादे से की जा रही है? 7 जून को बकरीद है। अभी अप्रैल का महीना चल रहा है। मई-जून यानी करीब डेढ़ महीने बाद जब बकरीद होगी। तब कट्टरपंथी हिंदुओं को काट देंगे। ऐसी धमकी मुर्शिदाबाद के हिंदुओं को दी जा रही थी. महिलाओं के सामने दी जा रही थी।
महिला मुख्यमंत्री के प्रदेश में महिलाओं को बलात्कार की धमकी
मीडिया के कैमरे पर हिंदू महिला रो-रोकर कह रही थीं कि कट्टरपंथियों के झुंड में 4 लोग ऐसे थे जो रेप की धमकी दे रहे थे। जरा सोचिए, ये सब एक महिला मुख्यमंत्री के शासन वाले प्रदेश में हो रहा था। मुर्शिदाबाद के हिंदुओं पर हमले फिलहाल रुके हैं लेकिन खतरा टला नहीं है। इस समय वहां BSF मौजूद है। इसके बावजूद दंगाइयों का दुस्साहस देखिए वो हिंदुओं को धमका रहे हैं कि ये सेंट्रल फोर्स कितने दिन रहेगी। जब BSF वहां से हटेगी तब वो फिर से हिंदुओं पर हमला करेंगे, मारेंगे-पीटेंगे-काटेंगे। जो मन होगा, वो करेंगे। पीड़ित हिंदू परिवारों का दावा है कि दंगाई इतने बेखौफ हैं, कि कह रहे हैं- अब तक सिर्फ 2 हिंदुओं को मारा है। आगे सबकी हत्या कर दी जाएगी। अब आपको लगेगा कि क्या वहां की पुलिस अपने कर्तव्य , जिम्मेदारी, संवेदना और अंतरात्मा को किसी फाइल की तरह अलमारी में बंद करके चैन की नींद सो रही है। पीड़ितों का जवाब सुनकर आपको यही लगेगा।परिवारों के मुताबिक, बंगाल की पुलिस ने हिंदुओं की मदद करने से साफ इनकार कर दिया था. क्या इसके लिये उन्हें ऊपर से आदेश दिया गया था? क्या खून की होली का खौफ पुलिस को भी था. क्या पुलिस भी कट्टरपंथियों से डरी हुई है। क्योंकि इस समय बंगाल में हिंदुओं के लिए सुरक्षा के लिहाज से भरोसे का एक ही नाम बचा है और वो है बीएसएफ यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स। पीड़ितों की मांग है कि वहां बीएसएफ कैंप बना रहे। नहीं तो फिर से दंगे के हालात बन सकते हैं। हिंदुओं का पलायन: ये भी सच है कि मुर्शिदाबाद में हिंदू अपने घर को छोड़कर पलायन कर रहे हैं। इसकी वजह अब सामने आ रही है। वहां हिंदू बच्चियों और लड़कियों को अगवा करने की धमकी दी जा रही है। मतलब साफ है कि दंगाइयों को ना तो किसी कार्रवाई का डर है और ना ही पुलिस या जांच एजेंसियों ने कोई दबाव बनाया है। इसलिये हमले के 10 दिन बाद भी वहां के हिंदू किसी टॉर्चर चैंबर में फंसे हुए हैं। वो ना तो ढंग से खा-पी रहे हैं और ना ही इनकी आंखों में नींद है। डर ऐसा कि इन्होंने अपने बच्चों को घरों में बंद करके रखा हुआ है।हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही बंगाल की पुलिस ने बीजेपी का प्रदर्शन रोकने में अपनी पांचों इंद्रियों का इस्तेमाल कर लिया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिये पुलिस एक विशेष प्रकार का स्ट्रक्चर लेकर आई. अगर पुलिस ने ऐसा ही उपाय मुर्शिदाबाद के दंगाइयों के खिलाफ किया होता तो हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी नहीं होती। फौजी के घर बम नहीं फेके जाते. हिंदुओं को घर नहीं छोड़ना पड़ता।खून की होली और हिंदुओं को काटने की धमकी ना मिलती और हिंदू परिवार के दो निर्दोष लोगों का जान भी बच जाती। राज्यपाल और महिला आयोग ने लिया जायजा: बंगाल के राज्यपाल सीवी बोस और राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने मुर्शिदाबाद जाकर पीड़ित महिलाओं का दर्द सुना. महिलाओं ने उनके गले मिलकर रोते-रोते जो बातें कहीं वो हृदय विदारक है. उनका दर्द झकझोरने वाला है। जिस देश में 100 करोड़ से ज्यादा हिंदू रहते हों वहां ऐसा डर हमारे सिस्टम के चेहरे पर किसी तमाचे के जैसा है। सच ये भी है कि कुछ हिंदू परिवार वापस अपने घर आ गए हैं लेकिन उन्हें अभी भी ये डर सता रहा है कि कहीं कोई कट्टरपंथी आकर ये ना कह दे कि- हमें तुम्हारे साथ खून की होली खेलनी है। जिन नेताओं ने मुसलमानों को भड़काने वाले भाषण दिये। क्या वो आज मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे समेत उन तमाम महिलाओं से उन हिंदू परिवारों से माफी मांगेंगे जिनके भड़काऊ भाषणों के बाद लोग सड़कों पर उतरे. कई जगहों पर भीड़ उग्र हुई, हिंसक हुई और हिंदुओं के घरों पर हमले किये गए।- क्या असदुद्दीन ओवैसी मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे से माफी मांगेंगे? - क्या महमूद मदनी..काकोली साहा को मिली धमकी पर क्षमा मांगेंगे? - क्या मौलाना कौसर हयात खान...आशा पांडे से माफी की गुहार लगाएंगे? - और क्या झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन जूही घोष के पति पर हुए हमले के लिये माफी मांगेंगे?हमे पूरा यकीन है- कि इनमें से कोई माफी नहीं मांगेगा. क्योंकि इनकी सोच में सिर्फ एक कौम है, दूसरे के लिए जगह नहीं है. वक्फ को अपना अधिकार और वक्फ कानून को इस हक में दखलंदाजी बताकर कुछ नेताओं ने भीड़ को उकसा दिया। क्या हिंदू बंगाल में सॉफ्ट टारगेट हैं?लेकिन खून की होली वाला बयान सुनते ही सब के सब खामोश हो गये हैं। आपने मुर्शिदाबाद हिंसा पर अबतक इनमें से किसी नेता को निंदा करते हुए नहीं देखा होगा. ये कहते हैं कि इनका विरोध वक्फ कानून के खिलाफ है. तो फिर इनके बयानों से भड़की भीड़ को हिंसा करने और हिंदुओं से खून की होली वाली धमकी देने का अधिकार कैसे मिल गया. क्यों आखिर इन धमकियों के खिलाफ बोलने के लिए इनके पास दो शब्द तक नहीं हैं। वक्फ कानून का विरोध करनेवाले जितने भी बयान सामने आ रहे हैं, उनमें एक बात कॉमन है. सबके सब मिलकर मुसलमानों के अधिकार की बात कर रहे हैं. लेकिन अगर मुस्लिमों को अधिकार है तो क्या हिंदुओं के अधिकार खत्म हो गये हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. 5 मई से फिर से सुनवाई होगी। लेकिन इतने दिन के लिए इनके पास सब्र नहीं है. मुस्लिम पक्ष एक तरफ तो बयान देता है कि उन्हें अदालत पर भरोसा है तो फिर लाखों लोगों को सड़कों पर क्यों उतारा जा रहा है। भीड़ की भावनाएं भड़काने वाली बयानबाजी क्यों चल रही है। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है लेकिन किसी के घर पर हमला करना। खून की होली की धमकी देना. सैनिकों की वर्दी जलाना, ऐसा करने की छूट किसी को भी नहीं है।
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/