- बांग्लादेश को पाकिस्तान बनाने की साजिश रच रहे कट्टपंथी
- बांग्लादेश के रास्ते भारत को अस्थिर करने की हो रही कोशिश
पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में एक धर्म विशेष के लोगों पर हमला एक सोची समझी चाल का हिस्सा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई , हमास, तालिबान और पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी नेता अल-कायदा से जुड़े उपदेश के लिए इकट्ठा हुए और ताना बाना बन दिया। बांग्लादेश की सरकार ने कहा है कि बांग्लादेश के संविधान से 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को हटा देना चाहिए, क्योंकि बांग्लादेश में 90 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं। इसलिए उसे धर्मनिरपेक्ष के बजाय एक मुस्लिम देश होना चाहिए।जब बांग्लादेश में ये बातें कही जा रही हैं, तब दुनिया में इस पर सन्नाटा छाया है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने की आतंकी योजनाओं के खिलाफ मजबूत कदम उठाने की तैयारी कर रही हैं। बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी विचारधाराओं पर जोर दिए जाने के कारण चिंता और भी बढ़ गई है, क्योंकि यह आतंकवादी समूहों के लिए एक मंच का काम कर सकता है, जो भारत और समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा कर सकता है। एक हाई लेवल धार्मिक आयोजन ने वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है, जहां हमास, तालिबान और पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी नेता अल-कायदा से जुड़े उपदेश के लिए इकट्ठा हुए थे। इससे खासतौर पर भारत के लिए खतरे बढ़ गए हैं, क्योंकि यह आतंकवादी समूहों के लिए एक मंच का काम कर सकता है।भारत में आईएसआई इन नजदीकियों का फायदा उठाकर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकती है। पहले भी बांग्लादेश के जरिए भारत में खलबली मचाने की कोशिश होती रही है। हसीना सरकार के साथ बेहतर संबंधों के चलते भारत अभी तक चटगांव बंदरगाह पर ISI की गतिविधियों पर नजर रखता आया था। जहां 2004 में चीनी गोला-बारूद के करीब 1,500 बक्से जब्त किए गए थे। इस खेप की कीमत कथित तौर पर 4.5-7 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी। कथित तौर पर ISI इस खेप को भारत में प्रतिबंधित संगठन ULFA (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम) तक पहुंचाने वाली थी। हालांकि, यूनुस कहते हैं कि सरकार बदलने के बावजूद ढाका और नई दिल्ली के रिश्ते 'बेहद करीबी' बने रहेंगे।बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हिंदू समुदाय से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है। इन फ्रीज किए गए खातों में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) के पूर्व प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास का खाता भी शामिल है, जिन्हें हाल ही में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।तीन कार्य दिवसों के भीतर में इन सभी खातों के लेन-देन वाले अद्यतन विवरण को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। यह कार्रवाई उस समय हुई है जबकि बांग्लादेश हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसके जरिए इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह याचिका चटगांव में हिंदू नेता के समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान एक वकील की मौत होने के बाद ही दायर की गई थी।बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक तरह से अतिवादियों को यह कह कर संरक्षण दे दिया कि हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं को जरूरत से ज्यादा तूल दिया जा रहा है। जबकि स्वयं उन्हीं के देश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने यूनुस के इस बयान पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि यूनुस हिंदुओं पर हिंसा की घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए स्थिति की गंभीरता को कम आंकने के प्रयासों में जुटे हैं। उधर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ कर जा चुकी हैं। इन मामलों में हैं गिरफ्तार: चिन्मय कृष्ण दास और 19 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया। दास को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें चटगांव की अदालत में पेश किया गया, जहां जमानत देने से इनकार करते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया। सरकार का दमनकारी कदम: बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण ज्योत के प्रवक्ता ने इसे हिंदू समुदाय के खिलाफ सरकार का दमनकारी कदम बताया है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि यह कार्रवाई सरकार की असहमति को दबाने की रणनीति का ही एक हिस्सा है। खुद शांति की वकालत करके नोबेल पुरस्कार पाया, आज वही युनूस अपने घर में हिंसा की आग को बुझा नहीं पा रहे हैं. उनके नाक के नीचे लगातार हिंदुओं पर जुल्म ढाया जा रहा है। एक बार फिर से बांग्लादेश के चट्टोगाम में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है. बांग्लादेश के चट्टोग्राम में शुक्रवार को नारेबाजी कर रही भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की।इस्कॉन के एक पूर्व सदस्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किये जाने के बाद से चट्टोग्राम में विरोध प्रदर्शन जारी है। शनि मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया यह हमला बंदरगाह शहर के हरीश चंद्र मुनसेफ लेन में दोपहर करीब 2:30 बजे हुआ और इस दौरान शांतानेश्वरी मातृ मंदिर, शनि मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया गया.समाचार पोर्टल ने मंदिर अधिकारियों के हवाले से बताया, ''नारेबाजी कर रहे सैकड़ों लोगों के एक समूह ने मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके, जिससे शनि मंदिर और अन्य दो मंदिरों के द्वार क्षतिग्रस्त हो गए। शांतिनेश्वरी मुख्य मंदिर प्रबंधन समिति के स्थायी सदस्य तपन दास ने बताया कि, "जुमा की नमाज़ के बाद सैकड़ों लोगों का एक जुलूस आया. उन्होंने हिंदू विरोधी और इस्कॉन विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए।" वेबसाइट ने उनके हवाले से बताया कि, "हमने हमलावरों को नहीं रोका। जब स्थिति बिगड़ गई, तो हमने सेना को बुलाया, जो तुरंत पहुंची और व्यवस्था बहाल करने में मदद की. दोपहर से पहले सभी मंदिरों के द्वार बंद कर दिए गए थे। उपद्रवी बिना किसी उकसावे के आए और हमला कर दिया। बांग्लादेश के इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के पूर्व सदस्य आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया। मंगलवार को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया. इससे बांग्लादेश में राजधानी ढाका और चट्टोग्राम सहित कई जगहों पर हिंदू समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।गत 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दास समेत 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चट्टोग्राम के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करे बांग्लादेश: भारत ने बांग्लादेश में उग्र बयानबाजी और हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. भारत ने यह भी आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास से संबंधित मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया कि भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लिया है और अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना बांग्लादेश की प्राथमिक जिम्मेदारी है। ,भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव: अगस्त में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। भारत उस देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है. जयशंकर ने कहा कि अल्पसंख्यकों सहित बांग्लादेश के सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है. उन्होंने कहा कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।अल्पसंख्यकों की रक्षा का आह्वान: विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास से जुड़े मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश सरकार के समक्ष हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ खतरों और लक्षित हमलों का मुद्दा लगातार और दृढ़ता से उठाया है। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा )
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