रुपए और डॉलर की तुलना करना तो बेमानी होगा, क्योंकि भारत में एक रुपए का जो वजन या मूल्य है, वह अमेरिका में एक डालर का नहीं है । अपने देश में अब एक रुपए में शायद ही कोई वस्तु मिलती हो, लेकिन यूएसए में ऐसा नहीं है।
दुकान में एक डालर में चार केले मिलते हुए मैंने स्वयं देखा है। यह एक नमूना भर है। यहां एक डालर में और भी सामान मिल जाते हैं।
किसी भी समाज या देश में सामान्य लोगों के उपभोग से जुड़ी दो चीजें मुझे समझ में आती हैं। एक दूध दूसरा पेट्रोल । मजे की बात है कि अमेरिका में यह दोनों ही चीजें सस्ती हैं। एक डालर से भी कम खर्च में यहां एक लीटर दूध और एक लीटर पेट्रोल मिल जाता है। यद्यपि एक बात उल्लेखनीय है। यहां पर लीटर का पैमाना नहीं चलता। यह तो मैंने अपनी सुविधा के लिए बना रखा है।
गैलन है पैमाना
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अमेरिका में गैलन से दूध और पेट्रोल मिलता है। यह मेरा अज्ञान ही था कि गैलन क्या है, यह मैं यहां आने से पहले एक डिब्बा भर समझता था । बाद में पता चला कि एक गैलन में 3.78 लीटर होता है। मतलब एक गैलन को करीब-करीब चार लीटर समझना चाहिए ।
दुकानों पर दूध एक गैलन के सीलबंद डिब्बे में मिलता है । जिस पर उपयोग करने की अंतिम तिथि भी अंकित रहती है। दूध भी यहां चार प्रकार के मिलते हैं। क्रीम वाला, कम फैट, न्यूनतम फैट और फैट मुक्त।
इनके दाम में हल्का-फुल्का अंतर भी रहता है । यह दुकान का और ब्रांड का भी हो सकता है। बस एक भरोसा सभी तो रहता है कि दूध में कोई मिलावट नहीं है। रोचेस्टर के बाजारों में चार लीटर दूध अमूमन 3.5 डालर से भी कम में मिल जाता है।
जहां तक पेट्रोल की बात है यह भी दूध की तरह ही एक दाम पर नहीं मिलता है। यही नहीं एक ही शहर में अलग-अलग पेट्रोल के दाम हैं।
रोचेस्टर में चार डालर से कम में एक गैलन पेट्रोल मिल जाता है। इस तरह भारत से सस्ते में अमेरिकी पेट्रोल खरीदते हैं। अमीर देश में सस्ता पेट्रोल सीधे-सीधे आम नागरिकों को फायदा पहुंचाना है। एक गैलन पेट्रोल 3.57 से 3.9 डालर तक मिलता है। लेकिन अमेरिका में भारत के विपरीत पेट्रोल की तुलना में डीजल महंगा है। एक गैलन 4.62 डालर में मिलता है। यहां पेट्रोल पंप पर कोई निगरानी करने वाला नहीं होता। लोग खुद ही सब काम करते हैं ।
जाहिर सी बात है कि यहां पर घटतौली की कल्पना तक नहीं की जा सकती, जो अपने देश में अक्सर ही सुनने-पढ़ने को मिलता है। विडंबना देखिए कि जो महंगा पेट्रोल खरीद सकते हैं , उनको सस्ते में मिल जाता है । जबकि अपने देश में ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं। हालांकि इसकी ठोस वजह भी है।
विश्व का सर्वाधिक पेट्रोलियम उत्पादन अमेरिका में ही होता है, तो इसका लाभ तो यहां के लोगों को मिलना ही है । यहां के तीस राज्यों में पेट्रोलियम पदार्थों का उत्पादन होता है।
इसके बावजूद भी अमेरिका अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहर से पेट्रोलियम पदार्थों का आयात भी करता है।
जहां तक दूध उत्पादन की बात है तो भारत का विश्व में पहला स्थान है और अमेरिका नंबर दो पर है।
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