मैं समझता हूं कि विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा जलप्रपात को देखना एक संयोग ही कहना चाहिए । वह इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि पिछली बार जब मैं अमेरिका आया था , तब साढे चार महीने प्रवास के बावजूद भी नियाग्रा का झरना नहीं देख पाया था । जबकि यह स्थान रोचेस्टर से बहुत अधिक दूर नहीं है।
दूसरी बार अमेरिका आने पर नियाग्रा जाने का इरादा तो पक्का था, लेकिन दिन- तारीख का निर्धारण नहीं हो पाया था।
इस अनिश्चय को कैलिफोर्निया में रहने वाले हमारे आत्मीय वंशीधर पांडेय जी ने दूर कर दिया। वे रिश्ते में हमारे सबसे छोटे भाई हेरंंब के साले हैं। पेशे से इंजीनियर लगभग 20 वर्ष से अमेरिकावासी हैं। उनसे फोन से बातचीत में यह तय हुआ कि 28 जून को नियाग्रा चलना है।
इस तरह 27 की शाम को सपरिवार जहाज की लंबी यात्रा करके वे रात में रोचेस्टर पहुंचे थे। सब ने एक साथ बैठकर खाना खाया और यात्रा की थकान के बावजूद देर तक बातें करते रहे और यह सिलसिला इस मुद्दे पर खत्म हुआ कि सुबह यात्रा भी करनी है।
देर से सोने के बावजूद सभी लोग सुबह समय से ही उठ गए थे । कहने की जरूरत नहीं कि यह अतिरिक्त उत्साह नियाग्रा को लेकर था।
चाय के साथ पराठा हमारा नाश्ता था। पांडेय जी के दोनों बच्चे तब तक खूब हिल मिल गए थे और पांडेय जी की धर्मपत्नी किचन में अपनी भूमिका निभाने लगी थीं। जल्दी-जल्दी करते हुए भी दिन के 11 बज ही गए ।
जब हम रोचेस्टर से रवाना हो रहे थे तब आसमान मेघाच्छादित था। बरसात की अब- तब को देखते हुए मैंने एक पैंट-शर्ट रख लिया था । एक तो वर्षा की संभावना, ऊपर से झरना देखना है इसलिए जूता बगैर मोजा वाला पैरों में था।
दोनों परिवार के लिए दो कारों से हम रोचेस्टर से निकले । घर से नियाग्रा फाल की दूरी 154 किलोमीटर गूगल बता रहा था। मेरा अनुमान था कि 2 घंटे की दूरी है और उतना समय लगा भी।
जाम लगने का अनुभव पहली बार
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अमेरिका में पहली बार रास्ते में जाम लगने का अनुभव हुआ। जब यहां से छूटे तो आगे पता चला कि सड़क पर काम चलने के कारण हमारी रफ्तार घट गई थी।
इस जाम में एक दूसरे से सटी हुई गाड़ियां नहीं थीं बल्कि निश्चित अंतराल उनमें था। सभी गाड़ियां अपनी लाइन में थीं।
ओवरटेक करने का प्रयास भी किसी ने नहीं किया जबकि बगल वाली पटरी बिल्कुल खाली थी । अपने बनारस शहर में तो यह दृश्य देखना नामुमकिन ही है। हम आधे घंटे तक जाम में फंसे हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे।
और बफलो से है खास लगाव
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नियाग्रा के रास्ते में बफलो शहर पड़ता है। नियाग्रा से 27 किमी दूर बफलो से रोचेस्टर के बाद मेरा एक अलग तरह का अनुराग रहा है। यह वही नगर है जहां अमेरिका आकर मेरी बेटी ऋतंभरा ने सबसे पहले इंटर्नशिप ज्वाइन किया था।
उसके 6 महीने इसी शहर में बीते थे। चूंकि उतरना नहीं था, इसलिए बफलो को हम कार में बैठे-बैठे निहारते रहे । इस शहर में छह महीने उसने अकेले रहकर बताए थे। यहां पर उसने अनुभव के साथ जो आत्मविश्वास कमाया , वह बाद के जीवन में बड़ा काम आया।
क्या यह नियति नहीं है कि जो किसी को अपने घर से 13 हजार किलोमीटर दूर अनजाने देश में रहने के लिए भेज देती है और फिर अमेरिका उसे घर जैसा लगने लगता है । नियाग्रा पहुंचने में 2 घंटे लग गए । अगर जाम न लगता तो कुछ समय अवश्य ही बच सकता था।
नियाग्रा पार्क और शहर भी
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नियाग्रा झरने का नाम हम पहले से सुनते आए हैं। अब यहां आकर पार्क भी नजर आने लगा और अच्छा खासा शहर भी बसा हुआ दिखता है। नियाग्रा काउंटी न्यूयॉर्क राज्य का एक छोटा सा नगर है। 2020 के आंकडे. के अनुसार यहां की आबादी 48671 मात्र है । इतनी कम आबादी तो अपने बनारस के एक बड़े मुहल्ले की भी हो सकती है। पर्यटकों की आवश्यकता के अनुसार सभी चीजें यहां उपलब्ध हैं। बड़े-छोटे होटल, रेस्टोरेंट और बार आदि। उनके बोर्ड दूर से ही दिखाई पड़ते हैं। (काशी के कलमकार आशुतोष पाण्डेय की कलम से)
क्रमश: ......
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